Chhath Puja 2025 women offering arghya to the sun with devotion and purity
आस्था, श्रद्धा और सूर्य उपासना का पर्व — छठ पूजा।
Chhath Puja 2025 भारत का एक अनूठा पर्व है। यहाँ आस्था, प्रकृति और स्वास्थ्य का सुंदर संगम देखने को मिलता है। यह केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और संतुलन का प्रतीक है।छठ पर्व सूर्य देव और प्रकृति माता के प्रति आभार व्यक्त करने का माध्यम है।

इसलिए, यह हमें सिखाता है कि जब हम प्रकृति के साथ तालमेल में जीवन जीते हैं, तो मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं।

वास्तव में, छठ पूजा केवल व्रत या परंपरा नहीं, बल्कि शरीर और मन को एकाग्र करने की साधना है।

Chhath Puja 2025 में सूर्य उपासना और स्वास्थ्य का संबंध

सूर्य हमारे जीवन का सबसे बड़ा ऊर्जा स्रोत है। इसलिए, छठ पूजा के दौरान सूर्य को अर्घ्य देना धार्मिक अनुष्ठान नहीं है। यह जीवन ऊर्जा को आत्मसात करने का तरीका है।

प्रातःकालीन और सायंकालीन सूर्य की किरणें शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक होती हैं। इससे विटामिन D प्राप्त होता है, जो हड्डियों और प्रतिरक्षा तंत्र के लिए आवश्यक है।

इसके अलावा, सूर्य स्नान और ध्यान का संयोजन मन को शांत करता है और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

सूर्य स्नान और ध्यान का यह संयोजन मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। इसके अलावा, यह व्यक्ति को तनाव और चिंता से मुक्त करता है।

Chhath Puja 2025 और प्रकृति से जुड़ाव का महत्व

छठ पूजा हमें याद दिलाती है कि हम प्रकृति के ऋणी हैं। इस दिन नदियाँ, मिट्टी और सूर्य पूजनीय बन जाते हैं।

इसके अलावा, सभी लोग एक ही जल में खड़े होकर पूजा करते हैं। इस प्रकार यह पर्व समानता और एकता का प्रतीक बन जाता है।

जब हम प्रकृति से जुड़ते हैं, तो पर्यावरण सुरक्षित रहता है। साथ ही, मन की शांति भी बढ़ती है। यह सादगी और स्वच्छता का उत्सव है — श्रद्धा और समर्पण से भरा हुआ।

भारत में Wikipedia पर भी उल्लेख है कि छठ पूजा प्रकृति और समाज के संतुलन का प्रतीक है।

उपवास, अनुशासन और मानसिक शुद्धि

छठ पूजा के व्रत में कई दिनों तक शुद्धता और संयम का पालन किया जाता है। यह उपवास केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि शरीर और मन को संतुलित रखने की एक वैज्ञानिक पद्धति है।

इस दौरान सात्विक भोजन, स्वच्छ जल और प्राकृतिक तत्वों का प्रयोग होता है, जो शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। वहीं ध्यान और आत्मसंयम की साधना मन को शांत और एकाग्र बनाती है।

शैल-सत्य फाउंडेशन: शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य की रोशनी

Chhath Puja 2025 हमें सिखाता है कि प्रकाश केवल सूर्य का नहीं, बल्कि ज्ञान और करुणा का भी प्रतीक है। यह संतुलन और सेवा का संदेश देता है।

Shail-Satya Foundation इसी विश्वास के साथ शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर कार्य करता है। हमारी लाइब्रेरी पहल बच्चों को पढ़ने, समझने और जिज्ञासा को उड़ान देने का अवसर देती है।

इसके अलावा, हमारे करियर काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सत्र युवाओं को तनाव प्रबंधन और आत्मविश्वास विकसित करने में मदद करते हैं।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से हम भावनात्मक साक्षरता और निर्णय क्षमता को भी बढ़ावा देते हैं।

जैसे छठ पूजा प्रकृति के साथ संतुलन सिखाती है, वैसे ही हमारी पहल जीवन में संतुलित सोच—मन, शरीर और समाज—को मजबूत बनाती है। यही सच्चा स्वास्थ्य और सामूहिक कल्याण है।

इसी संतुलन की भावना को शैल-सत्य फाउंडेशन अपने मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान में भी आगे बढ़ाता है — ताकि समाज में हर व्यक्ति न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रह सके।

आधुनिक जीवन के लिए सीख

आज की तेज़ जीवनशैली में जहाँ प्रदूषण, तनाव और असंतुलित दिनचर्या आम हो गई है, वहाँ छठ पूजा जैसे पर्व हमें संतुलन और सादगी की ओर लौटने की प्रेरणा देते हैं।

वास्तव में, प्रकृति के प्रति आभार, जल और सूर्य के साथ संवाद, और शरीर-मन की शुद्धि — यही छठ पूजा का संदेश है।

यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि आस्था तभी पूर्ण होती है जब हम स्वास्थ्य और पर्यावरण की भी रक्षा करें।

अगर आप भी शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के इस संदेश को और आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो हमारे साथ जुड़ें:

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?

छठ पूजा सूर्य देव और छठी माई (प्रकृति माता) की उपासना के लिए मनाई जाती है।

यह आभार का पर्व है — सूर्य की ऊर्जा और प्रकृति से मिलने वाली जीवनदायिनी शक्ति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम।

2. छठ पूजा कब मनाई जाती है?

छठ पूजा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह दीपावली के छठे दिन होती है और चार दिनों तक चलने वाला पर्व है।

3. छठ पूजा में किसकी पूजा होती है?

इस दिन सूर्य देव, छठी माई और प्रकृति की पूजा की जाती है। व्रती जल में खड़े होकर सूर्यास्त और सूर्योदय दोनों समय अर्घ्य देते हैं।

4. छठ पूजा का मुख्य संदेश क्या है?

यह पर्व हमें शुद्धता, आत्मसंयम और प्रकृति के प्रति आदर का संदेश देता है। यह शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करने की प्रेरणा है।

छठ और मानसिक स्वास्थ्य का क्या संबंध है?

अनुशासन, कृतज्ञता और सामुदायिक जुड़ाव से अकेलापन घटता है, सकारात्मक भाव बढ़ते हैं, और ध्यान/भजन जैसी गतिविधियाँ मन को स्थिर करती हैं।

शैल-सत्य फाउंडेशन इस संदर्भ में क्या करता है?

हम लाइब्रेरी, करियर काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सत्रों के माध्यम से बच्चों व युवाओं को सीखने, भावनात्मक साक्षरता और वेलनेस की दिशा देते हैं।

Chhath Puja 2025 का सार — जीवन का संतुलन और स्वास्थ्य का संदेश

छठ पूजा हमें सिखाती है कि जीवन में आस्था और विज्ञान का संगम ही सबसे बड़ा संतुलन है।

जब हम सूर्य, जल और मिट्टी का आदर करते हैं, तो हम स्वयं के भीतर के संतुलन को भी पुनर्जीवित करते हैं।

इस Chhath Puja 2025 पर आइए संकल्प लें कि हम प्रकृति से जुड़कर अपने शरीर और मन को स्वस्थ रखेंगे — क्योंकि सच्ची पूजा वही है जहाँ आस्था, प्रकृति और स्वास्थ्य एक साथ हों।

💚 शैल-सत्य फाउंडेशन सभी को छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ देता है —
आस्था में शुद्धता, जीवन में संतुलन और मन में शांति बनी रहे। 🌿


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